तुम्हारी ज़ुल्फ़ें रेशम सी नहीं
तुम्हारी भौहें तराशी हुई नहीं
तुम्हारी पलकें घनी नहीं
तुम्हारी आँखें भी बड़ी नहीं
तुम्हारे गाल गुलाबी नहीं
तुम्हारे होंठ गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नहीं
तुम्हारी गर्दन भी सुराही जैसी नहीं
तुम्हारी बाहें भी चिकनी नहीं
ना तुम्हारी कलाई ही गोरी है
तुम्हारी टाँगों पर भी रोए हैं।
ये सब लिखने के बाद
मैं ये नहीं लिखूँगा कि
प्यार तो आत्मा से किया जाता है, जिस्म से नहीं
सच तो ये है कि प्यार जिस्म से ही होता है
बाकी सब ढकोसले हैं
दिल को बहलाने की बातें हैं
सच तो ये है कि जिस्म ही हमारा होता है
इंसान जिस्मों से ही प्यार करता है
क्यूंकि आत्मा, वो कभी हमारी नहीं हो सकती
तो उससे कैसा प्रेम।
और ये सब कुछ लिखने के बाद
मैं ये भी लिख सकता हूँ और
मरते दम तक लिख सकता हूँ कि
मुझे तुम्हारे इस रूप से ही प्रेम है
इतना प्रेम, जितना मैं चाह कर भी नहीं लिख सकता
दुनिया के लिए सुंदरता की अपनी परिभाषा है
दुनिया के लिए तुम सुंदर नहीं हो
पर दुनिया है क्या?
दुनिया के लिए, दुनिया लोगों का एक हुजूम है
पर मेरे लिए दुनिया तुम हो
और मैं अपनी दुनिया से यही कहना चाहता हूँ कि वो सुंदर है
वो मेरे लिए हमेशा सुंदर ही रहेगी।
तुम मेरे लिए सुंदर हो
बिना रेशमी ज़ुल्फ़ों के
बिना तराशी हुई भौहों के
बिना घनी पलकों के
बिना बड़ी आँखों के
बिना गुलाबी गालों के
बिना गुलाबी होंठों के
बिना सुराहीदार गर्दन के
बिना चिकनी बाहों के
बिना गोरी कलाइयों के
बिना चिकनी टाँगों के
मेरी दुनिया, तुम सुन रही हो ना?
तुम सुंदर हो, बहुत सुंदर
और वो लोगों वाली दुनिया
वो दुनिया जाए भाड़ में।
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