Wednesday, October 25, 2017

याद आती हो पहले कि तरह

हाँ मैं तुम्हें बहुत याद करता हूँ पहले की तरह। ठीक उसी तरह जब तुम मुझे मिली नहीं थी और मैं तुम्हें पाने के ख़्वाब देखता था। लेकिन मैं नाराज़ हूँ तुमसे। बहुत नाराज़। इतना नाराज़ कि ख़ुद को अकेला पाकर रो देता हूँ। इसलिए नहीं कि मैं कमज़ोर हूँ, इसलिए क्यूँकि मैं तुम्हें बहुत याद करता हूँ पहले कि तरह। मैं तुमपर बिगड़ जाऊँ, तुम मुझसे ख़फ़ा रहो, तुम मुझसे झगड़ जाओ, मैं तुमसे लड़ता रहूँ, हारता मैं ही हूँ। नुक़सान मेरा ही है क्यूँकि तुम करोड़ों में एक हो! तुम मुझे भूल जाओ, ये हो भी सकता है, मैं तुम्हें भूल जाऊँ, ये मुमकिन नहीं। अपनी बड़ी-बड़ी मूँछ और दाढ़ी वाली आँखें जब शीशे  रोते हुए देखता हूँ, तो सोचता हूँ, कि अगर तुम मुझे ऐसे देखो तो क्या बर्दाश्त होगा तुमसे? क्या मेरी बेबसी, मजबूरियाँ और  परेशानी को तुम अनदेखा कर पाओगे? नहीं! क्यूँकि प्रेम है तुम्हें उस लड़के से जो तुम्हें मन से चाहता है। तुम्हें मानता है। तुमपे गर्व है उसे! क्यूँकि तुम वो ख़्वाब हो जिसे हक़ीक़त बनाने के लोग ख़्वाब देखते हैं।तुम्हें कोई क्यूँ ना चाहे? ज़िंदगी तुम्हारे बग़ैर क्या होगी? तुम हमसे ग़ैर क्या होगी? ❤️

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