Thursday, July 7, 2011

जीवनसंगीत

इन ऊँचे होते मकानों ने, सूरज का रस्ता रोक दिया,
कटते शहर के पेड़ों ने भी, सुबह को जैसे टोक दिया,
................अब धूप आँगन में आकर, प्यार से मुझे जगाए कैसे,
.................जीवनसंगीत ह्रदय में भरने को चिड़िया चहचहाए कैसे....

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