Wednesday, May 6, 2015

पोल खुली

विवाह के पश्चात् दीपक के सभी संगी साथी जिनके साथ बैठके हो जाती थी धीरे धीरे छूटते गए और मन परिवार में ही रम गया .पत्नी आरती और बिटिया अंजलि ही उसकी दुनिया थे .जीवन संगिनी ही मित्र बन चुकी थी ,सुंदर ,सुशील,गृह कार्य में दक्ष आरती के साथ एक वर्ष ''फूल भी हो दर्मिया तो फासले हुए ''और फिर एक वर्ष बाद अंजलि के आने से जीवन की बगिया महक उठी थी .''होगा कोई बीच तो हम तुम और बंधेगे''वाली बात हो गयी थी और ये बात वो कह गया जिसने कभी वैवाहिक सुख देखा ही नहीं ,आश्चर्य है
सौदर्य प्रसाधनो के मामले में बढती बच्ची ही माँ की प्रतियोगी होती है .महिलाये जीवन के सभी रंग लिपस्टिक की शेड्स में ही तलाशती हैं इसके लिए पती भी घंटो खड़ा रह कर धैर्य की परीक्षा देता है . अंजलि कही से भी मम्मी की वो लिपस्टिक खोज निकलती थी और अपने होठो पर आजमाती थी मम्मी के ये देखते ही चूहे बिल्ली की दोड़ शुरू हो जाती थी .इससे पहले की बिल्ली चूहे पर झपटे वो सरपट दोड़ के पापा की गोद में चढ़ जाती थी और सुरक्षित हो जाती थी .
सुंदर ,सुशील ,गृहकार्य में दक्ष आदर्श भारतीय नारी भी लिपस्टिक के मामले में रण चंडी बन जाती है .दीपक यदा कदा घर में ही एक दो पेग लगा लेता था ,अंजलि का प्रश्न था पापा ये क्या पी रहे हैं ?मम्मी ने सिखा रखा था की ये पापा की दवाई है ,डॉक्टर ने बताई है .
एक बार दीदी के ससुरजी के यहाँ मिलने गए ,वो ७५ की उम्र में भी पूर्णतः स्वस्थ थे और दो पेग रोज़ शाम को लगते थे ,जैसे ही उन्होंने पेग बनाया अंजलि ने बा आवाज़े बुलंद एलान कर दिया ''ये वाली दवाई तो हमारे पापा भी पीते हैं ''दीपक की पोल खुल चुकी थी और वो शर्म से ज़मीन में गड़ा जा रहा था .



कपिल शास्त्री

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