"डैड, इतने रुपये होते हुए भी मुझे एक बड़ी कार नहीं दिला सकते, सब ठीक कहते हैं आप बहुत कंजूस हो।"
वो हंस दिया, ठहाकों से सारी हवेली गुंजायमान हो उठी। कुछ देर हंसने के
बाद उसने अपने 15 साल के बेटे से कहा, "इस हँसी को मत भूलना, कल जब
तुम्हारे बच्चे बड़े होंगे और समय से पहले कुछ मांग करेंगे, तो इसकी
आवश्यकता तुम्हें भी होगी।
और शायद उन्हें भी इस हँसी में छुपा हुआ उलाहने का आँसू नहीं दिखाई देगा।"
- चंद्रेश कुमार छतलानी
- चंद्रेश कुमार छतलानी
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