अपने देश की मिट्टी में, तू अपना खून-पसीना मिलाकर देख,
कैसे कंकर मोती बनते है, तू मेहनत का नगीना मिलाकर देख...
धर्म-ओ-मजहब के झगड़े मिट जायेंगे, जो मैं कहूँ करके देख,
काशी, काबे से मिला, अयोध्या में मक्का-मदीना मिलाकर देख....
जाड़े की कुनकुनी दुपहरी में, भुट्टे पर नीम्बू-मिर्ची घिसकर चख,
गर्मी में बरगद की छाँव में, जरा जलजीरे में पुदीना मिलाकर देख....
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