उम्मीद के पेड़ो पर, कब फूल वफ़ा के खिलते है,
ख्वाबो के पार कब, ऐसे लोग यहाँ पे मिलते है.....
कितने दामन ढूंढ चुके वो तार नहीं पाया लेकिन,
जिससे ज़ख्म जिगर के और दिलों के सिलते है....
वो तो एक झोंका था जो आया आकर चला गया,
उसकी याद में दिल के अब तक पुर्जे-पुर्जे हिलते है....
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