Wednesday, July 13, 2011

तेरी यादों की धुंध

तेरी यादों की धुंध घनी है इतनी,
कि ये आफताब भी मिटा न पाए है,
क्या सुबह, क्या शाम, क्या रात,
ऐ सनम, हम तुझको भूल न पाए है.....

ये दुनिया उस दुनिया से रंगी है बड़ी,
जैसे रोशनी में शहर नहाए है,
तुझसे बिछड़कर यूँ लगता है लेकिन,
किसी वीराने में हम चले आए है....

है परेशानी की बात, कि कोई नहीं साथ,
फिर भी मन है कि बहका जाए है,
डसने लगते है जब तनहाई के लम्हे,
तेरी यादों आकर हमें बचाए है......

खामोश सा अटका दिल किसी पेड़ पर,
कटी पतंग सा आवारा हुआ जाए है,
तेरी चाहत के धागे पक्के है इतने,
बस तेरी और ही खिंचा चला आए है......

इश्क की मजबूरियां, हाय तुझसे ये दूरियां,
क्या है, क्यूँ है, समझ न पाए है,
मुमकिन नहीं तुझे पा लेना फिर भी,
दिल है कि तेरा ही हुआ जाए है.......

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