Wednesday, July 13, 2011

तुझे भूलने की मजबूरियां

एक तरफ तेरी यादों से यारियां बढ़ती जाती है,
दूसरे तुझे भूलने की मजबूरियां बढ़ती जाती है............

अजीब कशमकश कि मुन्तजिर जिस मंजिल का हूँ,
हर कदम पर उसीसे दूरियां बढ़ती जाती है............

मैं कहता हूँ क्या, वो समझते है क्या खुदा जाने,
पर इन्ही गफलतों में दुश्वारियां बढ़ती जाती है............

मैं मांगता हूँ ख़ुशी, वो ग़म भी नहीं देता अपने,
नाकाम कोशिशों से मेरी उदासियां बढ़ती जाती है............

मैं अपने गिरेबां में झांक खुद ही परेशां हूँ विशेष,
गुनाह बनती चाहतों की नाकामियां बढ़ती जाती है.....

No comments:

Post a Comment