Wednesday, July 13, 2011


पीना छोड़कर भी तुझको न भुला पाऊंगा साक़ी,
कोई आरजू या कोई हसरत जला जाऊंगा साक़ी,
मैं तेरे शहर के लोगो सा खुदगर्ज़ नहीं हूँ साक़ी,
कभी कभी यूँही तुझसे मिलने चला आऊंगा साक़ी.....

No comments:

Post a Comment