


बह जाता हैं आँसू बनकर हर ख्वाब
इन पलकों को अश्कों से भिगोना
फिर भी जाने क्यूँ अच्छा लगता है
वो लम्हे कहेंगे किस्सा बेवफ़ाई का
उसकी यादों को शब्दों में पिरोना
फिर भी जाने क्यूँ अच्छा लगता है
ख्याल उनका अब बन गया है तीर
हर नये जख्म को दिल में सजोना
फिर भी जाने क्यूँ अच्छा लगता है
अपना लगता है वो गीला सा सपना
बेशक टूटा हुआ है वो एक खिलोना
फिर भी जाने क्यूँ अच्छा लगता है
किस मोड़ पर खड़ा है ये दिल
इंतजार नहीं किसी का पर बाट जोहना
फिर भी जाने क्यूँ अच्छा लगता है
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