जो भी ज्यादा या कम समझतें हैं ,
तुम को बस एक हम समझतें हैं,
हम ठहाकों का दर्द जीतें हैं ,
लोग आँसूं को गम समझतें हैं,
इसलिए बिस्तरा नहीं करते ,
खवाब आखों को नम समझतें हैं,
जो न समझा तमाम उम्र हमें ,
हम उसे दम ब दम समझतें हैं.... !!
तुम को बस एक हम समझतें हैं,
हम ठहाकों का दर्द जीतें हैं ,
लोग आँसूं को गम समझतें हैं,
इसलिए बिस्तरा नहीं करते ,
खवाब आखों को नम समझतें हैं,
जो न समझा तमाम उम्र हमें ,
हम उसे दम ब दम समझतें हैं.... !!
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