हम हौसला अपना कभी कमतर नहीं रखते
तूफां में भी बुझने का कभी डर नहीं रखते
कफस को ही दोस्तों उड़ जाते हैं लेकर
पर सय्याद के हाथों में मुकद्दर नहीं रखते
ये मुश्किलें सफ़र की अब तुमसे ही कहेंगे
हर एक के कंधे पे तो हम सर नहीं रखते
खो जाये ना अपनी कही बंजारा मिजाजी
ये सोच के हम अपना कोई घर नहीं रखते
बस इसलिए तो राह में लुटते नहीं
चलते हैं अकेले कोई रहबर नहीं रखते
तूफां में भी बुझने का कभी डर नहीं रखते
कफस को ही दोस्तों उड़ जाते हैं लेकर
पर सय्याद के हाथों में मुकद्दर नहीं रखते
ये मुश्किलें सफ़र की अब तुमसे ही कहेंगे
हर एक के कंधे पे तो हम सर नहीं रखते
खो जाये ना अपनी कही बंजारा मिजाजी
ये सोच के हम अपना कोई घर नहीं रखते
बस इसलिए तो राह में लुटते नहीं
चलते हैं अकेले कोई रहबर नहीं रखते
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