Tuesday, May 15, 2012

ऐ खुदा

ऐ खुदा

" तेरी इस दुनिया में ये मंजर क्यूँ है?

कहीं ज़ख्म तो कहीं पीठ में खंज़र क्यों है?

सुना है की तू हर ज़र्रे में है रहता,

तो फिर ज़मीं पर कही मस्जिद तो कही मंदिर क्यूँ है?

जब रहने वाले इस दुनिया के है तेरे ही बन्दे,

तो फिर कोई किसी का दोस्त और कोई दुश्मन क्यों है?

तू है लिखता है सब लोगो का मुकद्दर,

तो फिर कोई बदनसीब और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है? "

No comments:

Post a Comment