लो अपना जहाँ दुनिया वालो, हम इस जहाँ को छोड़ चले,
जो रिश्ते नाते जोड़े थे,वो रिश्ते नाते तोड़ चले,
तकदीर की आंधी गर्दिश ने, जो खेल खिलाये थे खेल चुके,
हर चीज़ तुम्हारी लौटा दी, हम ले कर नहीं कुछ साथ चले,
फिर दोष ना देना ऐ लोगो, हम देख लो ख़ाली हाथ चले,
ये राह अकेले काटी है, यहाँ साथ ना कोई यार चले,
उस पार ना जाने क्या पायें, इस पार तो सब कुछ हार चले.
जो रिश्ते नाते जोड़े थे,वो रिश्ते नाते तोड़ चले,
तकदीर की आंधी गर्दिश ने, जो खेल खिलाये थे खेल चुके,
हर चीज़ तुम्हारी लौटा दी, हम ले कर नहीं कुछ साथ चले,
फिर दोष ना देना ऐ लोगो, हम देख लो ख़ाली हाथ चले,
ये राह अकेले काटी है, यहाँ साथ ना कोई यार चले,
उस पार ना जाने क्या पायें, इस पार तो सब कुछ हार चले.
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