Wednesday, December 25, 2013

अज्ञात

प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।

श्रीमदभग्वदगीता

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।

(कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है, फल में कभी भी नहीं)

कबीर

कांकर पाथर जोरि के, मसजिद लै बनाय ।
ता चढि मुल्ला बाक दे, क्या बहरा भया खुदाय ॥

डॉ. विक्रम साराभाई

जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है ।

चाणक्य

मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती,
धर्म करने से पाप नहीं रहता,
मौन रहने से कलह नहीं होता और
जागते रहने से भय नहीं होता |

यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो देती है ।

लार्ड बायरन

पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है।
अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।
अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।

ड्‍वाइन डी. आइसनहॉवर

निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती...

चाणक्य

शठे शाठ्यं समाचरेत् ।

(दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये)

Tuesday, December 24, 2013

झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।

(जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही बुद्धिमान है ।)

अरबी कहावत

जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ;
जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ;
जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ;
जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।


महाभारत (उद्योग पर्व)

पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।

थामस हक्सले

सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिये ।
दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता ।
संसार जितना ही तेजी से बदलता है, अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे, अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।

ग्राफिटो

मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।

अज्ञात

दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है।

प्रेमचंद

दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते।

जयशंकर प्रसाद

अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है।

Thursday, December 19, 2013

रत्वान रोमेन खिमेनेस

भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।

किथ बेलोज़ (मुख्‍य संपादक, नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी)

“दुनिया के कुछ हिस्‍से ऐसे हैं जहां एक बार जाने के बाद वे आपके मन में बस जाते हैं और उनकी याद कभी नहीं मिटती। मेरे लिए भारत एक ऐसा ही स्‍थान है। जब मैंने यहां पहली बार कदम रखा तो मैं यहां की भूमि की समृद्धि, यहां की चटक हरियाली और भव्‍य वास्‍तुकला से, यहां के रंगों, खुशबुओं, स्‍वादों और ध्‍वनियों की शुद्ध, संघन तीव्रता से अपने अनुभूतियों को भर लेने की क्षमता से अभिभूत हो गई। यह अनुभव कुछ ऐसा ही था जब मैंने दुनिया को उसके स्‍याह और सफेद रंग में देखा, जब मैंने भारत के जनजीवन को देखा और पाया कि यहां सभी कुछ चमकदार बहुरंगी है।”

मेक्‍स मुलर (जर्मन विद्वान)

"यदि हम से पूछा जाता कि आकाश तले कौन सा मानव मन सबसे अधिक विकसित है, इसके कुछ मनचाहे उपहार क्‍या हैं, जीवन की सबसे बड़ी समस्‍याओं पर सबसे अधिक गहराई से किसने विचार किया है और इसकी समाधान पाए हैं तो मैं कहूंगा इसका उत्तर है भारत।"

सिल्विया लेवी (फ्रांसीसी विद्वान)

"भारत ने शताब्दियों से एक लम्‍बे आरोहण के दौरान मानव जाति के एक चौथाई भाग पर अमिट छाप छोड़ी है। भारत के पास उसका स्‍थान मानवीयता की भावना को सांकेतिक रूप से दर्शाने और महान राष्‍ट्रों के बीच अपना स्‍थान बनाने का दावा करने का अधिकार है। पर्शिया से चीनी समुद्र तक साइबेरिया के बर्फीलें क्षेत्रों से जावा और बोरनियो के द्वीप समूहों तक भारत में अपनी मान्‍यता, अपनी कहानियां और अपनी सभ्‍यता का प्रचार प्रसार किया है।"

चकबस्त

कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।
अगर थोडी सी हिम्मत हो तो क्या हो सकता नहीं ॥

कबीर

कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।
पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर ॥

क्लिफ़ोर्ड स्टॉल

कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं..

नार्मन कजिन

जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।
जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था.

जोनाथन स्विफ्ट

अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते...
जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवसायियों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ?

हरिशंकर परसाई

मैंने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।

महाभारत

न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।

कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो...

रावणार्जुनीयम्

विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।

गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।

नेपोलियन

आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ |

महाभारत

हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर

चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती। बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता।

Wednesday, December 18, 2013

शम्स-ए-तबरेज़

दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।

अष्टावक्र

बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।

लता मंगेशकर (अपने ७६वें जन्म दिवस पर)

हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है।

ओशो

तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता।

भगवान महावीर

आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।

सर विलियम जोन्स

इसकी पुरातनता जो भी हो, संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।

. हू शिह (अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत)

भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।

फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला

यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था, तो वह भारत ही है ।

मार्क ट्वेन

भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।

अलबर्ट आइन्स्टीन

हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।

Tuesday, December 17, 2013

विल्ल डुरान्ट (अमरीकी इतिहासकार)

भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है, अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है, बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है, ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है ।
अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।


सुख दुख या संसार में, सब काहू को होय ।
ज्ञानी काटै ज्ञान से, मूरख काटै रोय ॥

जेम्स देवर

दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।

फ़ोर्ब्स

खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।

श्रीराम शर्मा 'आचार्य'

संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।

बिनोवा भावे

किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।


वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।

डेल कार्नेगी

आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।

डेल कार्नेगी

अमीरों के सम्बन्धी

गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी...

जैसे गंगा नी

कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।
पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर ॥

कबीर

गलती

गलती करने में कोई गलती नहीं है ।

गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।

Monday, December 16, 2013

Zindagi ko jiine ki ho Aadat..!!

Kuch aisi ho shaksiyat, ke har baat mein shiddat..
Pyaar, Honsla, Ummeedein, Zindagi ko jiine ki ho Aadat..!!

ye duniya kaise badalti hai

Tum abhi-abhi guzre ho yahan se,hume sab pata hai.
phool yoo hi nhi khilte patjhad me,hume sab pata hai.
tumbhi rahte ho beqarar hume dekhne ke liye,
kapde din bhar nhi sukhaye jate chhat me,hume sab pata hai.
kabhi himmat karke dil me dabi baat bhi kah denge,
kahna toh tumhe bhi kuch hai,hume sab pata hai.
nazer milte hi nazer andaj ker dena,
teri mahaz ek adaa hai,hame sab pata hai.
jana hai toh chale jao,roka kisne hai,
bad me ro-oge chader se lipat kr,hume sab pata hai.
or apni dhoop pe na goorur kr ae aaftab,
sham hote hi doob jata hai,hume sab pata hai.
(this is for Damini,16th dec.)
ye log tujhe aabroo kahen,aarzoo kahen,ya jannat ka waseela bhi,
kaise nochte hain chidiya ke per,hume sab pata hai.
hum majboor hain,besahara nhi,
zerf kiska kitna hai,hume sab pata hai.
waqt badalte hi sawal uthenge humari sadaqat pe,
ye duniya kaise badalti hai,hume sab pata hai.................................

mausam badaltey hain..

Waqt badalta hai, mausam badaltey hain..
Kuch rishtey aisey hai, jo har pal mehaktey hain..!!

Sukh ho ya dukh, wo saath dete hain..
Samjhane ke tareeke alag alag..
Pyaar se na samjhe 'gar.. to fatkaar dete hain..!!

Zindagi inhi rishto ki mehak se poori hai..
Aage badhte hue, kabhi kabhi yun hi thamna zaroori hai !! :)

Khaalis

Khaalis ishq aur sachaai aaj bhi hai lekin..
Milaawat ke daur mein parakh mushkil hai..!!

ज़िंदगी तू यूं ही लाजवाब नहीं.

कड़वा सच,
मीठा झूठ,
धनवान लालच,
गरीब दरियादिली,
खुशी में आँसू,
नींद में ख्वाब,
प्यार में तकरार,
छोटों की नसीहतें,
बड़ों की बेवकूफ़ियाँ,
जानवरों की इंसानियत 
इंसानी वहशीपन,
खामोश बातें,
भागती रातें,
समझदार जिझक,
पागलपन में बेबाकी,

हर बात कमाल तेरी.।
ज़िंदगी तू यूं ही लाजवाब नहीं..!!:)

Teri yad ko

Teri yad ko seene se laga kar roye,
Hum tasuwar mai tujhe pas betha kar roye,
Tujhko so bar pukara shab_e_tanhayi mai,
Aur har bar tujhe pas na pa kar roye,
Kabhi zindagi se gela karke roye,

kabhi moat ki hum Dua karke roye,
Ajab silsila hai Nezam_e_muhabbat ka
Qaza karke bhi roye Ada karke bhi roye,,,,,

छोड़ आये है................

मेरी तो थी वो ग़ज़ल जब तलक कागज़ पे काबिज ना हुई  
वसीयतों का हुनर 'मिर्जा' हम अपनी ग़ज़लो में छोड़ आये है................

थे मौजूद तमाम रास्ते काबा को काशी को
विसाले-यार के सजदे में वो कबीला छोड़ आये है ... 

क्यों दहशत-ज़दा हम रहे सूली के खौफ से बराया उसी सूली पे अपनी 'काफ़िरगी' का तमगा हम भी छोड़ आये है .........
कुरान से मुख़ालफ़त करता हुँ मैं, ये कहते है ख़ुदा को चाहने वाले
दंगाइयों के शहर से फिर भी हम नमाजे छोड आये है  ………………    !!!!

कौन कहता है

न कहता है कि रात साँसे नहीं लेती .......
फूलो के खिलने में वर्ना वो खुश्बू कहा है
चाँद बोलता नहीं रात में, ये कहता है कौन …… 
परिंदो से गुफ़तगू में वर्ना वो याराना कहा है 
कौन कहता है कि कोई सपनो में रोता नहीं ....... 
नूरे-रौशनी का क़तरा वर्ना यु पिछले पहर रात में सुलगता कहा है .......... 
रात भी लिखती है ग़ज़ल, ये माने कौन ………… 
रूहे-अंधेरो के फलक पे लिखता है ये कौन, कोई बताये 'वो कहा है'

डरावने खवाबो सी है रात, ये कहता है कौन ……… 
उजालो के घावो पर, फिर मरहम जो लगाये वर्ना वो 'आलिम' कहा है .......... 
कौन कहता है कि रात साँसे नहीं लेती . ................!!!!!

Thursday, December 12, 2013

aankho me aasu hai

aankho me aasu hai
kya ishq me hai kharabi?

ye ishq me jadu hai
uski to har ada hai gulabi.

to fir ye tanhaiya 
kyo kar gayi tujhe sharabi?

kya kare ishq ki ravaniyo me
hosh me jina nahi hai munasib.....!!

Wo mujh ko rulaye to koi baat nahi

Zindagi ka sochta hon na zamany ka sochta hon
Main to bas ussy apna banany ka sochta hon

Us kay roth jany kay andaaz ki qasam
Wo roth jaye to manany ka sochta hon

Usne na ki wafa to koi gila nahi
Main us se wafa'ein nibhane ka sochta hon

Wo mujh ko rulaye to koi baat nahi

mere ashko ko na samajh paya wo

mere ashko ko na samajh paya wo
mere lafzo ko na samajh paya wo
u chali meri kasti kuch aise
ki meri masti ko na samjh paya wo
raato me bikhari yaade
khil khilati hasi aur wo baate
fir khamoshi me dil dub jaye..
meri ankahi baato ko na samjh paya wo
kuch kaha usne aisa
jaise suraj ne chaand ko dekha
masti huyi sharam se haya
jaise chunar me simte duniya
nadan thi mein jo....
apne hi dil ko na samajh payi mein
wo aashiq aisa rutha
ki wo saath aise chhutha...
ki meri uljhano ko na samajh paya wo
pyar ek dhokha hai
fir b kisi dil ne na isse roka hai...
ye baat na samjh payi mein
ye baat na samjh paya wo!!!

kahna chaha tha

kahna chaha tha par
kah na paye hum
ek khamoshi me the
usse ubhar na paye hum
aankho me dikhte sapno se
dur ho na paye hum
jab karib aana chaha tumse
taqdir se lad na paye hum
khayalo me milte hai tumse
jise haqikat me badal na paye hum
fir b ek aas hai intezar me
kyuki tumhe kabhi bhula na paye hum..

teri aankho ki shararat

teri aankho  ki shararat
meri hasi me haya bhar jati hai
har aahat tere hone ka
 vaham ye mujhe de jati hai
kashmkash me rahti hai nighahe
 jab parchhayi meri saath chalne lag jati hai
jab naam koi tera puchhta hai to
haste lajate hotho ko dabate
chunni meri ungli me fas jati hai

Raat Dhaly....

Wo Meri Fiker Mein Dooba Hai Itni Raat Dhaly.....!
Har Ek Chiragh Se Keh Do Ke Is Ke Saath jaly...!!

Apne Anjaam Se

Apne Anjaam Se Waakif Hoo'n Magar Kyaa Kijiye 
Mujh Ko Ik Shakhs Ne Deewana Bana Rakha Ha'i

rula b deta tha,

Hansata tha phir mujhe rula b deta tha,
Kar k aksar wade mujh se bhula b deta tha.
Bewafa tha magar acha lagta tha dil ko,
Kbi kbi batein muhabat ki suna b deta tha.
Tham leta tha hath mera kbi yun hi khud,
Kbi hath apna mere hath se chura b leta tha.
Kbi bewaqt chala aata tha milne ko,
Kbi qeemti pal muhabat k ganwa b deta tha.
Ajab dhoop chaaon sa mizaj tha us ka,
Pyar b karta tha nazron se gira b deta tha..........!!

जुदा हो नहीं सकता

मिट्टी में मिला दे के जुदा हो नहीं सकता
अब इससे ज़्यादा मैं तेरा हो नहीं सकता

दहलीज़ पे रख दी हैं किसी शख़्स ने आँख़ें
रोशन कभी इतना तो दिया हो नहीं सकता.........♥.......

Teri Palkon Main

Teri Palkon Main Rukna Hai Raat Bhar Ke Liye..'
Main To Ek Khwab Hon Subah Ko Chala Jaon Ga..

Tuesday, December 10, 2013

Mohabbat Kar Nhe Paya

December K Maeeney Ka,
Wo shyad Pehla Din tha,

Guzrey Baras Kahen Main'ay,
Mohabbat Lafz Likha Tha,

Kisi Kahgaz K Tukrrey Par,
Achanak Yaad Aaya Hai,

Guzrey Baras Kahen Mujhko,
Kisi Se Baat Karni Thi,

Usey Kehna Tha Jaan-e-Jaan
Mujhe Tumse Mohabbatat Hai,

Magar Mein Keh Nahi Paya,
Wo Kaghaz Aaj Tak,

Lipta Parra Hai Dhool Mein Lekin,
Kisi Ko De Nahe Paayi,

December Phir K Aaya Hai,
December Phir Aaya Tha,

Magar Shayad...!!

Dobhara chah Kar Bhi Mein,
Mohabbat Kar Nhe Paya,!!

na mile to maut

Tum kya jano mohabbat ke meem ka matlab ?

mil jaye to mojhema na mile to maut.....

Sadiyon Ki Chahtain

Lamhon Main Qaid Kar Day Jo Sadiyon Ki Chahtain
Hasrat Rahi K Aisa Ko'i Apna Bhi Talab'gaar Ho..!

gam bhoolane ko

Kuch log peete hain gam bhoolane ko……
kuch log peete hain koi aur gam bhoolaane ko….
par ai dost ye kya………
hum to mahoal na milane ke gam mein peete hain…..

Tujhse mill ke

Tujhse mill ke dil ko ye khayalaaya. . . .
Tujhe bepanah chahne lagahumain. . . .
Teri ek jhalak dekhne ke liye, Ankho mein sapne sajane lagahumain. . . .
Teri saanso ko mehkane kewaste. . . .
Phulo se khushboo churanelaga humain. . . .
Sochte hai tum bhi tarraptehogemere pyar mein. . . .
Teri chahat ne be-qarar kiyahaiitna. . . .
Ki teri tasveer se hi lipatnelaga humain. . . .!!

दीवाने से

सभी लगते है मुझे दीवाने से
सजी महफ़िल तुम्हारे आने से
बिन देखे तुम्हे न चैन आये
मिलो आकर किसी बहाने से
तेरी नजरो से मय छलकती है
नैन लगते है तेरे मैखाने से
करो कोशिश तो क्या नही होता
दिल मिलता है दिल मिलाने से
चाह कर भी भुला न पायोगे
यादे मिटती नही है मिटाने से

Monday, December 9, 2013

अपने ही सपनो से रंजिशे कैसी

अपने ही सपनो से रंजिशे कैसी 
बेवजहा बस्तियों में ये मुफ़्लसि कैसी 
'आबरू' के इस खेल में यु मशगूल हो गए हम भी    
आइनों की महफ़िल में फिर ये 'अपनी बेबसी' कैसी   
मजहबी-कागज़ या कागज़ का मजहब ही तो है  
किताबो में गुथे पन्नो से  ये रवायातो की बू कैसी  …… 
बना के मजार ना हमको इज्ज़त देना तुम रहबरों  
शर्मिंदा इंसानियत की ये 'खुदाई' से जमानत कैसी  
अपने ही सपनो से रंजिशे कैसी   …
बेवजहा बस्तियों में ये मुफ़्लसि कैसी ……!!!

apne halaat dekhta

me tumhe tumhari mohbat ki kya sogat deta
jo khushi tum pana chahte the shayad chand saalon baad deta
magar huya kahan tumse bhi intjaar itna.........................
is pal me me tumhe dekhta ki apne halaat dekhta...

diwangi k badle

chahat..tamnna...aarjhu
mera to sab kuch tum ho,
meri is diwangi k badle
muje bhi thodi si ehmiyat de do.

gulaam

me sir jhuka kr jee lunga umar bhar
tu muje apne yahan gulaam hi rakh le.

जो कहती थी

"जो कहती थी मे तुझे कभी हारने नही दूँगी

वो मेरी जीतने की चाहत ख़तम कर के चली गयी "