बचपन में बुखार आया था, मम्मी कॉलोनी में ही एक फिजिशियन थे उनके पास ले गई, डॉक्टर साहब ने देख कर कहा
" हुम्म, मलेरिया है, इंजेक्शन लगेंगे"
(तभी क्लिनिक में लगे हरे परदे के पीछे से जोर की आवाज आई)
"पापाआआअ, अईई, सुबुक सुबुक"
2 मिनिट बाद कॉलोनी में ही रहने वाले शर्मा अंकल अपनी बेटी रानू के साथ बाहर आये, रानू भें! भें! कर के रो रही थी, लेकिन मुझे देखते ही चुप हो गई, क्युकी मै मुस्कुरा रहा था। डॉक्टर साहब बोले "इसे भी मलेरिया ही है"
मम्मी ने कहा-मेरे बेटे को तो टेबलेट्स और मीठी दवाई ही लिख दीजिये।
(मैंने रानू की ओर देखा वो मुझे यु देख रही थी जैसे कह रही हो 'डरपोक' ये तो इज्जत का सवाल हो गया मैंने कहा)
"नहीं मम्मी मै नहीं डरता, सर मुझे जल्दी ठीक होना है आप तो मुझे इंजेक्शन ही लिख दीजिये"
(अब परदे के पीछे मै था, आवाज आई "मम्मीईईईईई इ इ इ", बाहर आया तो रानू मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, जैसे कह रही हो 'अब आया मजा बच्चू')