Wednesday, May 23, 2012

--------Batwara Maa-Baap Ka----------

Rishto Ko Yun Todte,Jaise Kaccha sut
... Batwara Maa-Baap Ka,Karne Lage Kapot

Kaise Beto Per Kare,Maat-Pita Abhimaan
Apne Ghar Me Hi Bane,Anchahe Mehmaan

Mata-Pita Me Bas Rahe,Sakshaat Bhagwaan
Mandir-Masjid Dhoondta,Manav Hai Naadan

Patthar Ko Poojte Aur Navaate Shish
Pani Mange Baap To,Nakhre Karte 20

Hin-Bhin Sapne Huye,Taar Taar Vishwas
Maat-Pita Ko De Diya,Beto Ne Vanvaas

Mandir Me Pooja Kare,Ghar Me Kare Kalesh
Bapu Tu Bojha Lage,Patthar Lage Ganesh

Prem Aastha Tayag Huye,Bite Yog Ki Baat
Bacche Hi Karne Lage,Maata-Pita Se Ghaat

Pani Aankho Me Meri,Meri Sharm-O-Laaj
Kahe Bahu Ab Saans Se,Ghar Mein Mera Raj

Nayi Sadi Se Mil Rahi,Dard Bhari Saugat
Beta Kehta Baap Se,Kya Teri Aaukat

Kama Akele Baap Ne,Bete Pale Chaar
Ek Akeli Jaan Ab,Chaaro Per Hai Bhaar

जो भी दर्द है मेरा तुम्हारा बाँट लेते हैं


चलो आओ मुहब्बत का सहारा बाँट लेते हैं
कि जो भी दर्द है मेरा तुम्हारा बाँट लेते हैं

मिले हैं ग़म भी जो तुम को वो मेरे नाम लिख डालो
मेरी खुशिओं का हर एक पल दोबारा बाँट लेते हैं

तुम्हारी आँख में चुभता है जो मंज़र, मुझे दे दो
मेरी नज़रों का हर दिलकश नज़ारा बाँट लेते हैं

मेरे कंधे पे रखो सर, तुम्हारा हाथ मैं थामूं
यूं एक दूजे का जान-ऐ-जान सहारा बाँट लेते हैं

मेरी झोली में डालो तुम ज़माने के सभी ताने
तुम्हारी उलझनों का बोझ है जो सारा बाँट लेते हैं

यूँ तनहा डूबने से तो है कहीं बेहतर मेरे हमदम
कि बन कर दोस्त आपस में किनारा बाँट लेते हैं...!!

तुम तक फासला जो है

मोहब्बत फ़र्ज़ जैसी है, निभाना सीख जाओगे !
दिलो पे क़र्ज़ जैसी है, चुकाना सीख जाओगे !!

लबो पे फूल जैसी है, खिलाना सीख जाओगे !
नज़र में आग जैसी है, लगाना सीख जाओगे !!

तुम तक फासला जो है, मिटाना सीख जाओगे !
कभी जो दिल में आ बैठी, ज़माना भूल जाओगे !!

Tuesday, May 22, 2012

खुमार-ऐ-इश्क


उफान समंदर में आया है अभी अभी !
रुख से पर्दा उसने हटाया है अभी अभी !!

ग़म हो भी तो क्या, मुझे किसी भी दर्द का !
अब-ऐ-हयात बन वो आया है अभी अभी !!

पिलाता ही रह, आज की रात तू साकी !
बाद मुद्दत मुझे होश आया है अभी अभी !!

नज़र न लगाओ, ओ नादाँ तारों !
सनम पे मेरे नूर आया है अभी अभी !!

ठहर कुछ पल, ऐ शब्-ऐ-शोख तू !
खुमार-ऐ-इश्क छाया है अभी अभी !!

सहला लेने दो इन हसीन ज़ख्मों को !
महबूब ने सितम ढाया है अभी अभी !!

मोहोब्बत मोम का घर है

वो कहती है सुनो जाना मोहोब्बत मोम का घर है
तपिश ये बदगुमानी की कहीं पिघला न दे इसको

मैं कहता हूँ की जिस दिल में जरा भी बदगुमानी हो
वहां कुछ और हो तो हो मोहोब्बत हो नहीं सकती
...
वो कहती है सदा ऐसे ही क्या तुम मुझ को चाहोगे
की मैं इस में कमी बिलकुल गंवारा कर नहीं सकती

मैं कहता हूँ मोहोब्बत क्या है ये तुम सिखाया है
मुझे तुम से मोहोब्बत के सिवा कुछ भी नहीं आता

वो कहती है जुदाई से बहुत डरता है मेरा दिल
की खुद को तुम से हट के देखना मुमकिन नहीं है अब

मैं कहता हूँ यही खटके बहुत मुझको सताते है
मगर सच है मोहोब्बत में जुदाई साथ चलती है

वो कहती है बताओ क्या मेरे बिन जी सकोगे तुम
मेरी बातें, मेरी यादें, मेरी आँखें, भुला दोगे

मैं कहता हूँ कभी इस बात पर सोचा नहीं मैंने
अगर एक पल को भी सोचूं तो साँसें रुकने लगती है

वो कहती है तुम्हे मुझसे मोहोब्बत इस कदर क्यों है
की मैं एक आम सी लड़की तुम्हे क्यों ख़ास लगती हूँ

मैं कहता हूँ कभी खुद को मेरी आँखों से तुम देखो
मेरी दीवानगी क्यों है ये खुद ही जान जाओगी

वो कहती है मुझे वारफ्तगी से देखते हो क्यों
की मैं खुद को बहुत कीमती महसूस करती हूँ

मैं कहता हूँ मता-ऐ-जां बहुल अनमोल होती है
तुम्हे जब देखता हूँ जिंदगी महसूस करता हूँ

वो कहती है मुझे अल्फाज़ के जुगनू नहीं मिलते
तुम्हे बतला सकूँ दिल में मेरे कितनी मोहोब्बत है

मैं कहता हूँ मोहोब्बत तो निगाहों से छलकती है
तुम्हारी ख़ामोशी मुझसे तुम्हारी बात करती है

वो कहती है बताओ न किसे खोने से डरते हो
बताओ कौन है वो जिसे ये मौसम बुलाते है

मैं कहता हूँ ये मेरी शायरी है आईना दिल का
बताओ क्या तुम्हे इस में नज़र आया

वो कहती है की सुनिए जी बहुत बातें बनाते हो
मगर सच है ये बातें बहुत शाद रखती हैं

मैं ये कहता हूँ ये सब बातें फ़साने ये सब एक बहाना है
की पल कुछ जिंदगानी के तुम्हारे साथ कट जायें

फिर उसके बाद ख़ामोशी का दिल रक्स होता है
निगाहें बोलती हैं और लब खामोश रहते हैं

शायद वोह फूल था

तुझसे गिला मैं जिंदगी करता फजूल था,
चुपके से दर्द झेल के मरना कबूल था.

पैरों के नीचे कांटे अब दर्द नहीं देते,
जो चुभ गया है अब के शायद वोह फूल था.
...
दिल तोड़ देना हर बात पे उसकी यह आदत थी,
ले के ज़ख़्म गिला न करता, मेरा असल था.

मुझे गले लगा के रोया, हमदम भी रह गया,
न जाने किस नशे में कर गया वोह भूल था.

मेरे तुम से कैसे कैसे रिश्ते हैं

दिल की ताक़ पे दिया जलाने आऊंगा
मैं तुमको कुछ याद दिलाने आऊंगा

मेरे दर्द को तुम भी ना सह पाओगे
अपने आंसुओं से तुम्हें रुलाने आऊंगा

शौक बहुत था जिन गलियों में बसने का
वहीँ पे एक दिन ख़ाक उड़ाने आऊंगा

मेरे तुम से कैसे कैसे रिश्ते हैं
तुमको एक बार और बताने आऊंगा

बुझ भी जायेंगी ये सांसें फिर भी मैं
रोज़ तुम्हारे नाज़ उठाने आऊंगा

जीतने दूँगा तुम्हें हर बाज़ी और फिर
अपनी हार का जश्न मनाने आऊंगा...!!!!

maa

Maa, sapno ki paliki me muje baithake,
maa, apni jannat si god me muje uthake,
maa sahla de sar mera tu fir usi tra,
maa m rota hu k tu vaps duniya me laut aa,
maa tere bin m sbkuch bhulaye baitha hu,
maa tuje m apni ruh me bsaye baitha hu,
maa mera ye dukh drd tu baatne to aa,
maa m glti krta hu to daatne to aa,
maa meri kaanpte bolo ko ik saaj to de,
maa usare se nikalke muje ik awaj to de,
maa m pyasa hu k mujko pani pila de,
maa apni roti me se ek tukda khila de,
maa pas baithake aanchal se pasina ponch de,
maa mere hr khyal ko tu apne pyar jsi soch de,
maa ghr suna ho gya h tere bina,
maa muskil jina ho gya h tere bina,

Monday, May 21, 2012

Kuch Apne Mile The

Ek Ajnabi Shehar Mein Kuch Apne Mile The
Thodi Si Shikayat Kuch Un Se Gile The

Woh Baat Ka Salika Woh Naram Sa Lehja
Jane Kyon Un Se Kuch Log Jale The

Amad Thi Un Ki Ya Aama-E-Bahar
Sehra O Gulshan Mein Kahi Gul Khile The

Koi Bataye Kyon Woh Chhor Gaya Daman
Gar Aaj Bure Hum Kal To Bale The…

Sunday, May 20, 2012

Pyar Ka Izhar Zarori Tu Nahi

Dil Ke Lut Jane Ka Izhar Zarori Tu Nahi !!

Ye Tamasha Sare Bazar Zarori Tu Nahi !!

Mujhe Tha Ishq Teri Rooh Se Or Ab Bhi Hai !!

Jism Se Ho Koi Sarokar Zarori Tu Nahi !!

Mein Tujhe Toot Ke Chahon Tu Meri Fitrat Hai !!

Tu Bhi Ho Meri Talabgar Zarori Tu Nahi !!

Ae Sitamgar Kash Zara Jhank Meri Ankho Mein !!

Muskara Kar Pyar Ka Izhar Zarori Tu Nahi !!

Friday, May 18, 2012

तुमसे दर्द ही मिलना है

तुमसे दर्द ही मिलना है तो ये ही सही..

कुछ और चाहा तो हाथ से ये भी जायेगा ...

तुम दिल ना दुखाओगे तब भी दुखेगा ये दिल ...

ऐसे रिश्ते में दीवाना भला और क्या पायेगा ..

मेरे आने की ना सही कम से कम जाने की खबर तो पूछ ..

क्या मौत में भी दीवाना खाली हाथ जायेगा !!

एहसास तुम हो

मेरा सावन भी तुम हो मेरी प्यास भी तुम हो ..!
सेहरा की बाँहों में छुपी आस भी तुम हो..!

तुम यूँ तो बहुत दूर बहुत दूर हो मुझ से..!
एहसास ये होता है मेरे पास भी तुम हो..!

हर ज़ख़्म की आगोश में है दर्द तुम्हारा..!
हर दर्द मैं तस्कीन का एहसास भी तुम हो..!

खो जाओ तो वीरान सी हो जाती हैं राहें..!
मिल जाओ तो फिर जीने का एहसास भी तुम हो..!

लिखता हूँ तो तुम ही उतरती हो कलम से..!
पढता हूँ तो लहजा भी तुम आवाज़ भी तुम हो..!

दिल की बात छुपाने मेँ मज़ा आता है

दिल की बात छुपाने मेँ मज़ा आता है ,

सच कहूँ तो उसको सताने मेँ मज़ा आता है ,

जब भी चाहा उसे तो दिल से चाहा ,

उसे तो पल-पल अपना बनाने मेँ मज़ा आता है ,

जब से उसे अपना माना है एक पल भी नहीँ भूला हूँ ,

उसको तो हर पल याद करने मेँ मजा आता है ,

अब आप ही बताओ ,कैसे बताएँ उसे दिल के जज़बात,

जब बिना बताए ही चाहत का मज़ा आता है..!!

क्या तुम भी?

शाम की देहलीज़ पे आस का दीप जलाते हो,
और किसी आवारा पत्ते की आहत पर,
दरवाज़े की तरफ भागे जाते हो,

क्या तुम भी?

दर्द छुपाने की कोशिश करते करते,
अक्सर थक से जाते हो,
और बिना वजह मुस्कुराते हो,

क्या तुम भी?

नींद से पहले पलकों पर ढेरों ख्वाब सजाते हो,
या फिर बिस्तर पर लेट कर,
रोते रोते सो जाते हो,

क्या तुम भी?

किसी को चाहते हो . . .?

Thursday, May 17, 2012

उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे

उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे ,

वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे ?.



मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा ,

ये मुसाफिर तो कोई और ठिकाना चाहे .



एक बनफूल था इस शहर में वो भी ना रहा,

कोई अब किस के लिए लौट के आना चाहे .



ज़िन्दगी हसरतों के साज़ पे सहमा-सहमा,

वो तराना है जिसे दिल नहीं गाना चाहे .



हम अपने आप से कुछ इस तरह हुए रुखसत,

साँस को छोड़ दिया जिस तरफ जाना चाहे .

परछाई

मैं छुप गया हूं मेरी खुद की ही परछाई में ,

चराग ए दिल जो जलाये वो ढूंढ़ ले मुझ को ..."

अकेला हूँ मैं

अब उसे कैसे बताऊँ कि अकेला हूँ मैं ,

भीड़ में मुझ को घिरा देख के जो लौट गया ..!!

तेरी उम्मीद

"तेरी उम्मीद, मिटते-मिटते भी,

एक उम्मीद छोड़ जाती है ....."

जीना और मुश्किल है

गिरेबा चाक करना क्या है, सीना और मुश्किल है
हर एक पल मुस्करा कर, अश्क पीना और मुश्किल है
हमारी बदनसीबी ने हमे इतना सिखाया है
किसी के इश्क में मरने से, जीना और मुश्किल है !!!!!

मुझे अब डर नहीं लगता......

मुझे अब डर नहीं लगता......

किसी के दूर जाने से, ताल्लुक टूट जाने से
किसी के मान जाने से, किसी के रूठ जाने से

मुझे अब डर नहीं लगता......

किसी को आजमाने से, किसी के आजमाने से
किसी को याद रखने से, किसी को भूल जाने से

मुझे अब डर नहीं लगता......

किसी को छोड़ देने से, किसी के छोड़ जाने से
ना शमा को जलाने से, ना शमा को बुझाने से

मुझे अब डर नहीं लगता......

अकेले मुस्कराने से, कभी आंसू बहाने से
ना इस सरे जमाने से, हकीकत से फ़साने से

मुझे अब डर नहीं लगता......

ना तो इस पार रहने से, ना तो उस पार रहने से
ना अपनी जिंदगानी से, ना एक दिन मौत आने से

मुझे अब डर नहीं लगता, मुझे अब डर नहीं लगता......!!!

रहते हैं ख्यालों मैं

आज कल वोह हम से बात नहीं करते हैं
रात से दिन और दिन से रात नहीं करते हैं

आते रहते हैं ख्यालों मैं हर पल
पर असलियत मैं मुलाकात नहीं करते हैं

कहाँ हैं, कैसे हैं और किस हाल मैं हैं हम
बेरहम कोई सवालात नहीं करते हैं

अश्कों मैं डूब गयी हैं पलकें और फिर जिंदगी भी
बंद बरसना यह अश्क-ऐ-जज़्बात नहीं करते हैं

भूल गए हैं मुस्काना और कोशिश भी छोड़ दी है अब तो
क्या करें मंज़ूर यह हालात नहीं करते हैं

प्यार करते हैं हम उनसे साचा कोई बताये उन्हें उफ़
कोई कसूर हम अजी, हजूरात नहीं करते हैं

खफा क्यूँ हैं? यह पता हो तो मन लें उन को
पर वोह तो कोई भी इशारात नहीं करते हैं

इस दरख़्त के पत्तों पे जो शबनम है सूख न जाए कहीं
कह दो उनसे किसी की जिंदगी यूँ ही बर्बाद नहीं करते हैं

Tuesday, May 15, 2012

मुझको कोई हसरत नहीं


कैसे कहूँ ज़िन्दगी को उसकी जरूरत नहीं,
झूठ कहता हूँ जो कहता उससे मोहब्बत नहीं.

जी कहता है चल किसी मयखाने में,
आज कुछ ठीक अपनी तबियत नहीं.

होश में ना सही नशे में ही कह दूंगा,
उसे छोड़कर जहाँ में किसीसे निस्बत नहीं.
( निस्बत = रिश्ता )

मैं कर तो लूँगा इज़हार कुछ हिम्मत जुटाकर,
पर हो इकरार कभी ऐसी मेरी किस्मत नहीं.

दिल लगाओगे तो दिल टूटेगा ही,
ये हकीक़त है यारों कोई नसीहत नहीं.

जीता हूँ इसलिए की अब मरने की फुर्सत नहीं,
वरना जीने की यारों मुझको कोई हसरत नहीं.

रिश्ते नाते तोड़ चले

लो अपना जहाँ दुनिया वालो, हम इस जहाँ को छोड़ चले,

जो रिश्ते नाते जोड़े थे,वो रिश्ते नाते तोड़ चले,

तकदीर की आंधी गर्दिश ने, जो खेल खिलाये थे खेल चुके,

हर चीज़ तुम्हारी लौटा दी, हम ले कर नहीं कुछ साथ चले,

फिर दोष ना देना ऐ लोगो, हम देख लो ख़ाली हाथ चले,

ये राह अकेले काटी है, यहाँ साथ ना कोई यार चले,

उस पार ना जाने क्या पायें, इस पार तो सब कुछ हार चले.

साँसों का कारवां

'आओ किसी शब् मुझे टूट के बिखरता देखो,
मेरी रगों में ज़हर जुदाई का उतरता देखो.

किस किस अदा से तुझे माँगा है रब से,
आओ कभी मुझे सजदों में सिसकता देखो.

तेरी तलाश में हमने खुद को खो दिया है,
मत आओ सामने मगर कहीं छुप के मुझे तड़पता देखो.

बड़े शौक से मर जायेंगे हम अगर
तुम सामने बैठ कर साँसों का कारवां टूटता देखो...

मेरी मायूसियाँ तनहाइयाँ


!!!!! ऐ वक़्त कभी लौट आ, मेरी जिंदगी उधार दे,
मुझे और कुछ अता ना कर, जो खो गया वो प्यार दे

मुझे वो ही लम्हे बक्श दे, जिनमे वो मेरे साथ था
फिर थाम कर ज़रा खुद को तू, मेरी जिंदगी सँवार दे,
...
मेरी तिशनगी की आंच में, है आवाज़ कही खो गयी
मेरे यार को आवाज़ दे, मेरी ओर से पुकार दे,

है आज मेरे साथ बस, मेरी मायूसियाँ तनहाइयाँ
मेरे यार ज़रा रहम कर, मुझे थोडा सा करार दे,

जो ना दे सके मुझे सुकून, तो ये इल्तेज़ा कुबूल कर
जहा यादें ना पहुँच सके, मुझे ऐसी ही मज़ार दे,

यहाँ हर तरफ अदावतें, नफरत-ओ-फरेब है,
जहा हर ज़हां में प्यार हो, कोई ऐसा संसार दे !!!!!

कहा उस ने.....



''
कहा उसने भरोसा दिल पे इतना नहीं करते .
कहा मेंने मोहब्बत में कभी सोचा नहीं करते
''
कहा उसने खुश रंग दुनिया के नज़रे हैं.
कहा मैने जब तुम हो पास ,हम कुछ देखा नहीं करते
''
कहा उसने मैं तुम से दूर हूँ लेकिन तुम्हारे पास हूँ
कहा मैंने सपनो से दिल को बहलाया नहीं करते.
''
कहा उसने तुम्हारी चाहत तुम्हे रुसवा कर देगी.
कहा मैंने शोहरत से घबराया नहीं करते
''
कहा उसने समझ जाओ मेरी जान समझ जाओ.
कहा मैंने दीवानों को समझाया नहीं करते !!

ऐ खुदा

ऐ खुदा

" तेरी इस दुनिया में ये मंजर क्यूँ है?

कहीं ज़ख्म तो कहीं पीठ में खंज़र क्यों है?

सुना है की तू हर ज़र्रे में है रहता,

तो फिर ज़मीं पर कही मस्जिद तो कही मंदिर क्यूँ है?

जब रहने वाले इस दुनिया के है तेरे ही बन्दे,

तो फिर कोई किसी का दोस्त और कोई दुश्मन क्यों है?

तू है लिखता है सब लोगो का मुकद्दर,

तो फिर कोई बदनसीब और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है? "

आदत बुरी भी है...

तुझ को गुरुर ए हुस्न है मुझ को सुरूर ए फ़न,
दोनों को खुदपसंदगी की लत बुरी भी है ,
तुझ में छुपा के खुद को मैं रख दूँ मग़र मुझे,
कुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है...

Monday, May 14, 2012

तुमको खबर तो हो

हमारे वास्ते कोई दुआ मांगे, असर तो हो

हक़ीक़त में कहीं पर हो न हो आंखों मे घर तो हो

तुम्हारे प्यार की बातें सुनाते हैं ज़माने को

तुम्हें खबरों में रखते हैं, मगर तुमको खबर तो हो…

उसने थामा था हाथ मेरा

एक रोज़ उसने थामा था हाथ मेरा
मेरे हाथ से उसके हाथ की खुशबु नहीं जाती

वो बहुत प्यार से पुकारते थे नाम मेरा
मेरे कानो से उनकी वो आवाज़ नहीं जाती

मैं बुलाता भी नहीं था और वो आ जाते थे
अब बोलने पर भी मेरी आवाज़ उन तक नहीं जाती

बस चुके हैं वो मेरी नस नस मैं लहू की तरह
मेरी उल्फत उनकी रूह में उतर क्यों नहीं जाती.?

मैं जानता हूँ ये शहर ये रास्ते उनके नहीं
फिर भी मेरी आँखों से इंतज़ार की आदत नहीं जाती......

तबियत घबराती है

"शाम अगर जल्दी ढल जाए तबियत घबराती है,

एक समय के बाद तुम्हारी आदत चिल्लाती है ,

जो बेचैनी सिर्फ तुम्हारे होने पर होती थी

हम दोनों जब अलग हो गए क्यूँ आती-जाती है ...."

Dil aakhir tu kyun rota hai

Jab jab dard ka baadal chaya

Jab ghum ka saya lehraya

Jab aansoo palkon tak aya

Jab yeh tanha dil ghabraya

Humne dil ko yeh samjhaya

Dil aakhir tu kyun rota hai

Duniya mein yunhi hota hai

Yeh jo gehre sannate hain

Waqt ne sabko hi baante hain

Thoda ghum hai sabka qissa

Thodi dhoop hai sabka hissa

Aankh teri bekaar hi nam hai

Har pal ek naya mausam hai

Kyun tu aise pal khota hai

Dil aakhir tu kyun rota hai

वफ़ा निभा दी बारिश ने

आज फिर मुझको उसकी याद दिला दी बारिश ने
दिल में जो भूल की आग थी बुझा दी बारिश ने

मैं तनहा था अपने घर में ज़माने से परे
मगर मेरे घर की दीवार गिरा दी बारिश ने
...
उस के जिक्र से हो गयी मेरी आंखें नम
मगर दोस्तों में ये सारी बात छुपा दी बारिश ने

सुना है, वो भी रोया है आज बहुत
लगता है उनको मेरी याद दिला दी बारिश ने

वो बेवफा हुआ तो फिर क्या हुआ
आज मेरे साथ रो कर वफ़ा निभा दी बारिश ने.......

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है

तीर पार कान्हा से दूर राधिका-सी है

शाम की उदासी में याद संग खेला है

कुछ ग़लत न कर बैठे मन बहुत अकेला है

औषधि चली आओ चोट का निमंत्रण है

बाँसुरी चली आओ होंठ का निमंत्रण है !!!!

ज़िन्दगी है तुम्हारे लिये

हमें जब भी कभी वे दिन पुराने याद आते हैं ,

तुम्हारे पास जाने के बहाने याद आते हैं ,

जहाँ हमने तुम्हारे साथ में मिलकर बुने सपने ,

न जाने क्यूँ अभी तक वे ठिकाने याद आते हैं ,


*आ भी जाओ हमारे लिये

हम खड़े हैं सितारे लिये ,

कैसे तुमको यकीं आएगा,

ज़िन्दगी है तुम्हारे लिये...!!

Qayamat Ho Hi Jati Hai.

Ye Zehmat Bhi To Rafta Rafta Rehmat Ho Hi Jati Hai

Musalsal Gham Se Gham Sahne Ki Aadat Ho Hi Jati Hai

Miseeha Ho Agr Tum Sa Zarorat Kiya Hai Marham Ki

K Kantoon Se Bhi Zakhmon Ki Jarahat Ho Hi Jati Hai

Talooq Jin Se Ho Un Par Gilaa Aya Hi Karta Hai

Muhabbat Jin Se Ho Un Se Shikayat Ho Hi Jati Hai

Zarori To Nhi Suraj Sawa Naze Pe Ho "Mohsin"

Koi Apna Badal Jaey Qayamat Ho Hi Jati Hai...!!

रुसवाई का बहाना होगा

दर्द को कही गहरे में छुपाना होगा
सबके सामने हंसना मुस्कुराना होगा

पल पल टूटते हैं विश्वास के किले
ताश के पत्तों को फ़िर से सजाना होगा

भरम रखना है मोहब्बत का दिल में
उस गली में अब रोज़ आना जाना होगा

चुभते हैं कांटे ये उनकी फ़ितरत है
फूलों को अपना दामन बचाना होगा

ऐ लब कभी भूले से नाम ना लेना
उनके होंठो पे रुसवाई का बहाना होगा

बैठ कश्ती में मौज से लड़ना और है ...

धूप में पावों का जलना और है
पड़ गए छालों से उभरना और है ...

समंदर की चाहें जितनी बाते कर लो
बैठ कश्ती में मौज से लड़ना और है ...

आँखों में ख्वाब सजाना आसान है
कभी टूटते तो अश्क का लरजना और है ...

बाग़ में मुस्कुराते गुलों पर बैठी
चुप चाप तितलियाँ पकड़ना और है ...

अभी मन को तुम आज़ाद घूमने दो
क़ैद परिंदों के पर बाँधना और है ...

खुले हैं दरवाज़े इंतज़ार में अब तक
उस का लौट के नहीं पहुचना और है ...

लिखने को लिख दी है आज ग़ज़ल हमने
उससे लफ्ज़ - लफ्ज़ समझ सकना और है ...

ज़ख्म हरे होने का सबब जो हो 

वक़्त के साथ घाव का भरना और है ...

Friday, May 11, 2012

दिल इतना नादान क्यूँ है ?

मेरी आँखों में आसू, फिर भी होंठो पे मुस्कान क्यूँ है ?

क्यूँ दुहरी ज़िन्दगी जीते है हम, आंखिर हर कोई परेशान क्यूँ है ?

गुलशन है अगर सफ़र ज़िन्दगी का, तो फिर इस की मंजिल श्मशान क्यूँ है ?

जब जुदाई है प्यार का मतलब, तो फिर प्यार करने वाले हैरान क्यूँ है ?

अच्छा करम करना ही ज़िन्दगी है, तो बुराई का रास्ता इतना आसान क्यूँ है ?

अगर जीना ही है मरने के लिए, तो फिर "ज़िन्दगी" एक वरदान क्यूँ है ?

जो कभी न मिले उस ही से लग जाता है दिल, आखिर दिल इतना नादान क्यूँ है ?

ZINDAGI isi ko kahte hain...!!


Dil k tutne pr b hasna,

Shayad JINDADILI isi ko kahte hain..

Thokar lagne pr b manjil tk bhatakna,

Shayad TALASH isi ko kahte hain..

Kisi ko chahkar b na pana,

Shayad CHAHAT isi ko kahte hain..

Tute khand'har m bina tel ka diya jalana,

Shayad UMMID isi ko kahte hain..

Gir jane pr fir se khada hona,

Shayad HIMMAT isi ko kahte hain..

UMMID,

HIMMAT,

CHAHAT,

TALASH...

Shayad ZINDAGI isi ko kahte hain...!!

Thursday, May 10, 2012

rasta mujhe badalna hoga

teri mehfil se ab uth ke mujhe jana hoga
aane ka mujh pe ab na koi bahana hoga

APARICHIT ban kar main yahan aaya tha
teri nazroo'N se kahan bach paya tha

ab rasta mujhe badalna hoga
tujhse shayad hi mera milna hoga

main mazboor hoon ke phir se mar nahi sakta
na jane kaise bin dhadkano ke jiye ja raha hoon

tujhse ab apni pehchan juda kiye ja raha hoon
teri mathey ka sindoor sang liye ja raha hoon

mujhe malum hai ke tu aansu bahayegi
mere jane ka gum na sah payegi

main teri yaadein sang le ja raha hoon
ru'H yahin hai bas ang le ja raha hoon

ek wade ne mujhe tujhse dur kar diya
mujhe tujhse bichadne ko mazbur kar diya

zindagi agar phir se mili to tere pass hi aaunga
wada hai tere pehlu se phir kabhi sarak ke na jaunga

Kis Bhulaon Tuj Ko

Kis Tara Yad Karon Kase Bhulaon Tuj Ko

Tu Koi Rasm Nhi Hai K Nibhaon Tuj Ko

Roz Ankhon Se Bikharta Hai Naya Khwab Koi

Dil Ye Kehta Ha Ankhoon Mein Sajaon Tuj Ko

Khob Hote Hain Chaht K Ye Mithe Rishtay

Bhol Kar B Kabhi Dushman Na Banaon Tuj Ko

Tere Janay Pe Machalta Hai Buhat Dil Lakin

Zabt Itna Ha K Phr Bhi Na Bhulaon Tujh Ko

Zindgi Kon Se Taaron Ka Falak Hai Mohsin

Kis Tara Apna Sitara Main Banaon Tujh Ko !!

ek ainaa hoon

Bin baat ke hi ruthne ki aadat hai,

Kisi apne ka saath na paane ki aadat hai,

Tum khush raho mera kya hai,

Mai toh aaina hoon mujhe tutne ki aadat hai,

Na jaane kab kisi mord pe mil jaye maut humse,

Hume toh sabko gale lagaane ki aadat hai,

Saayad koi samagh hi na saka,

Mujhe sapno ko apna banaane ki aadat hai,

Na maano toh poocho unn panchiyon se,

Jinhe gharondhe ki jarurat hai,

Na jaan sakoge mujhe kabhi,

Q ki mujhe kho jaane ki aadat hai,

Khush raho jahaan bhi raho,

Mera kya hai ek ainaa hoon,

Jisse toot jaane ki aadat hai...!!

Wednesday, May 9, 2012

.nazar

ulafat-a-zindgi ki raah main nazar dhahti rahi.........
hum khamosh rahe aur wo behti rahi.......
gam jada the is safar-a- mohbbat main.......
wo humsafar hone ka sahara kehti rahi........

hum khamosh rahe aur wo behti rahi........*


yeah zindgi ka hunar hain ya takaja..........
muskaan aakhon par liye har gam sehti rahi........

hum khamosh rahe aur wo behti rahi........*

nahi hain unki jagah zindgi main arse se.........
phir bhi intzaar liye aakhon main rehti rahi.......

hum khamosh rahe aur wo behti rahi........*

याद आएगी तू...........


माना बहुत दूर हैं तू-और दूर हो जाएगी तू,
मेरी यादों से कब तलक खुद को छुपाएगी तू,
मैं तो बहता पानी हूँ तेरी जिन्दगी का,
कभी तो आखों से बहाएगी तू .........

उम्मीदों का होंसला लिए रोके बैठा हूँ खुद को,
कभी तो मेरी यादों से सहम जाएगी तू..........

बद से भी बद्तार हैं हालात मेरे,
कभी तो झूठे से ही अपनाएगी तू,

किस कदर करूं बयां मेरी तन्हाई का आलम,
कभी तो खावों में भी जाग जाएगी तू........

तुझे लगा की एक पत्थर से मोहब्बत की तुने ,
कैसे कहूँ बहुत याद आएगी तू...........

आज नाराज सवेरा हैं और अँधेरी साँझ मेरी,
कभी तो मेरा भी दिया जलाएगी तू.........

Mujhe Tum Se Bicharna Hy Juda Nhi Hona..!!

Tuesday, May 8, 2012

कभी कभी

यूँ तो रहते हो पास मेरे हर वक़्त
फिर भी ये शिकायत होती है कभी कभी

वादा तो है साथ रहने का उम्र भर
पर गुजर न जाये ये उम्र शिकात होती है कभी कभी

मेरे हर एहसास में हो तुम दूर होकर भी पास हो तुम
पर एक पल की दूरी से भी शिकायत होती है कभी कभी

याद है मुझे हमारी हर मुलाक़ात
और इन्ही यादों से शिकायत होती है कभी कभी

कभी कभी माँगा है दुआओं में तुझे इस कदर
की शिकायत होती है उस खुदा से भी कभी कभी

यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले

हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले
अजनबी जैसे अजनबी से मिले
हर वफ़ा एक जुर्म हो गोया
दोस्त कुछ ऐसी बेरुख़ी से मिले
फूल ही फूल हम ने माँगे थे
दाग़ ही दाग़ ज़िन्दगी से मिले
जिस तरह आप हम से मिलते हैं
आदमी यूँ न आदमी से मिले

Monday, May 7, 2012

हमे नींद आ जाये

अगर तुम गुनगुनाओ तो हमे नींद आ जाये
गजल कोई सुनाओ तो हमे नींद आ जाये

सुनो ये रौशनी आँखों को चुभने लगी है
चीरागों को बुझाओ तो हमे नींद आ जाये

कभी फुर्सत मिले तो तुम हमारे साथ कुछ लम्हे
मोहोब्बत के बिताओ तो हमे नींद आ जाये

सुलगती सात में आवाज़ का अपनी ज़रा सा तुम
अगर जादू जगाओ तो हमे नींद आ जाये

तुम अपने नर्म हाथों से हमारे सर को सहलाओ
मोहोब्बत से सुलाओ तो हमे भी नींद आ जाये

हमारे रास्तों से खार चुन का नर्म फूलों की
अगर बिस्तर बिछाओ तो हमे भी नींद आ जाये

ज़रा सा हौसला कर के निभाओ अपने वादों को
सितारे तोड़ लाओ तो हमे भी नींद आ जाये

अजब सा बोझ है दिल पर अगर यह बोझ दिल पर से
किसी दिन तुम हटाओ तो हमे भी नींद आ जाये

ज़िन्दगी का जाम

यादों में गुजरी हुई हर शाम उनके नाम
मेरी इस बेमतलब ज़िन्दगी का जाम उनके नाम

उनके दीदार को तरसती हुई प्यासी ये निगाहें
दिल में दहकती आग का पैगाम उनके नाम

वोह ज़िन्दगी में आया था जब से छाई है बैचेनी
उससे पहले जो मयस्सर था वोह आराम उनके नाम

अन्ध्रेरों में भी साथ चलता था उसका साया
इस बार मेरी तन्हाई का कलाम उनके नाम

आया करता था उनके चाहने वालों की फेहरिस्त में
खूबसूरत मायना रखने वाला मेरा नाम उनके नाम

मेरी नजर मेरी उम्र मेरा नाम मेरा जिगर
मोहोब्बत की इब्तदा और अंजाम उनके नाम

ऐ जान ऐ जिगर मेरी हर खता हो माफ़
दुनिया से जाते जाते मेरा सलाम उनके नाम

ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तनहा


ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तनहा
काफिला साथ रहा और सफ़र तनहा
अपने साए से भी चौंक जाते है
उम्र गुजरी है इस कदर तनहा
रात भर बोलता रहे सन्नाटे में
रात काटे कोई किधर तनहा
दिन गुजरता नहीं लोगों में
रात होती नहीं बसर तनहा

सब उसका है

मुझ में जो कुछ अच्छा है सब उसका है

मेरा जितना चर्चा है सब उसका है

मेरा और उसका रिश्ता बड़ा पुराना है

मैं ने जो कुछ सोचा है सब उसका है

मेरी आँखें उसके नूर से रोशन है

मैंने जो कुछ देखा सब उसका है

मैंने जो कुछ खोया सब उसका था

मैंने जो कुछ पाया है सब उसका है

जितने बार में टूटा हूँ वोह टूटा था

जो इधर उधर बिखरा है सब उसका है

Sunday, May 6, 2012

Wafa K Qaid Khanon Mein


Wafa K Qaid Khanon Mein Sazaaien Kab Badalti Hain
Badalta Dil Ka Muasam Hai Hawaaien Kab Badalti Hain

Libada Ouurh Kar Ghum Ka Nikal Jate Hain Sehra Mein
Jawab Aaye Ya Na Aaye Sadaaien Kab Badalti Hain

Meri Sari Duaaien Tum Se Mansoob Hain Janaa
Muhabbat Ho Agr Sachi Duaaien Kab Badalti Hain

Koi Paa Kar Nibhata Hai Koi Kho Kar Nibhata Hai
Naey Andaz Hote Hain Wafaaien Kab Badalti Hain

Gunahon Ko Humaray Aik Malik Hi Bakhshta Hai
Ata Is Ki Purrani Hai Khaataien Kab Badalti Hain...!!

तेरी आहट पर

ज़ख्म मुस्कुराते हैं अब भी तेरी आहट पर

दर्द भूल जाते हैं अब भी तेरी आहट पर

शबनमी सितारों मे फूल खिलने लगते हैं

चाँद मुस्कुराता है अब भी तेरी आहट पर

उम्र काट दी लेकिन बचपना नहीं जाता

हम दिया जलते हैं अब भी तेरी आहट पर

घंटियाँ सी बजती हैं रुक्स होने लगता है

दर्द जगमगाते हैं अब भी तेरी आहट पर

तेरी याद आये तो नींद जाती रहती है

ख्वाब टूट जाते हैं अब भी तेरी आहट पर

जो सितम करे आकर सब कबूल है दिल को

हम ख़ुशी मानते हैं अब भी तेरी आहट पर

अब भी तेरी आहट पर चाँद मुस्कुराता है

ख्वाब गुनगुनाते हैं अब भी तेरी आहट पर

तेरे हिज्र मे हम पर एक अज़ाब तरी है

चौंक चौंक जाते हैं अब भी तेरी आहट पर

दस्तकें सजाने के मुन्तजिर नहीं रहते

रास्ते सजाते हैं अब भी तेरी आहट पर

अब भी तेरी आहट पर आस लौट आती है

हम दिए जलते हैं अब भी तेरी आहट पर

humare rishte kaa naam kya hai

Kabhii sochaa hai?
humare rishte kaa naam kya hai
muhabbat, zarurat, khawahish, junuun, ishq
yaa
vo rishtaa jo
aasmaN kaa zameeN se hai
baarsih kaa sehraa se hai
haqeqat kaa khawaboN se hai
din kaa raat se hai!
ye bhii kabhii ek dusre se mil nahiN sakte
lekiN ek dusre ke bagair adhure bhii hai
shayad aisaa hii kuch rishtaa
meraa aur tumharaa bhii hai!!!

Saturday, May 5, 2012

bikher gaya hu

tere firaq k lamhe shumar karte hue
bikher gaya hu tera intezar karte hue

to main bhi khush hu koi usko ja k kah dena
agar wo khush hai mujhe bekarar karte hue

wo kah rahi thi samender nahi hai aankhein hain
main un me doob gaya aaitbar karte hue

tujhe pata bhi nahi hai k koi tut gaya
mohabbato ko bahut paidaar karte hue

main muskurata hua aaine me ubhrunga
wo ro padegi achanak singhar karte hue

Jism Se Rooh Ko Ruswa Hone De

Mujhe Maut Ki Godh Mein Sone De
Jism Se Rooh Ko Ruswa Hone De

Mila Hai Mujhe Apna Saathi
Seene Se Lagkar Uske Rone De

Mil Gaya Hai Mera Humsafar
Issi Ke Ishq Mein Mujko Khone De

Mila Hai Mauka Panaah Ka Aaj
Kam Se Kam Isi Ki Ahmiyat Mein Hone De

Zindagi Ne Kabhi Khushi Nahi Di
Maut Ki Hi Baahon Mein Lipat Kar Sone De

Mujhe Maut Ki Godh Mein Sone De
Issi Ke Ishq Mein Mujhko Khone De…

Friday, May 4, 2012

महफ़िल में तेरी

रुसवाइयों के खौफ से आज फिर
महफ़िल में तेरी आना पड़ा मुझे

उसूल - ऐ -महफ़िल रह गए इस लिए
इस बेवफा से हाथ मिलाना पड़ा मुझे

गुम हो न जाये लोग कहीं इस लिए
अपने लहू का दीप जलाना पड़ा मुझे

तुम किस पे आजमाओगे अपनी जफा
के तेरी महफ़िल बस ये सोच के आना पड़ा मुझे

दिल को यकीन था आप के आने का इस लिए
आँखों को रास्ते पे बिछाना पडा मुझे

मुझको गंम से मोहब्बत थी इस लिए
दिल एक बेवफा से लगाना पडा मुझे .

Zindagi Kitni Khubsurat hoti

Zindagi Kitni Khubsurat hoti,

Agar teri chahat ,

Adhuri na hoti,

Kuch uljhane ,

kuch majburiyan hoti beshak,

Magar DIL mein ,

Itni duriyan na hoti…!!

Pathther bana diya mujhey roney nahin diya Daaman bhi terey gham ne bhigoney nahin diya Tanhaiyaan tumhara pata poochhti rahin Shab bhar tumhari yaad ne soney nahin diya Ankhon mein aa ke baith gayi ashkon ki laher Palkon pe koyi khwab pironey nahin diya Dil ko tumharey aansoo aziz thay Duniya ka koyi dard samoney nahin diya Na sirf us ki yaad chali haath thaam ke Meley mein iss jahaan ke khoney nahin diya

Pathther bana diya mujhey roney nahin diya
Daaman bhi terey gham ne bhigoney nahin diya

Tanhaiyaan tumhara pata poochhti rahin
Shab bhar tumhari yaad ne soney nahin diya

Ankhon mein aa ke baith gayi ashkon ki laher
Palkon pe koyi khwab pironey nahin diya

Dil ko tumharey aansoo aziz thay
Duniya ka koyi dard samoney nahin diya

Na sirf us ki yaad chali haath thaam ke
Meley mein iss jahaan ke khoney nahin diya

pyar kay lamhay..........!!!!!

"Kbi Mushkilon Ka Tha Samna

Kabi Rahaton Mein Guzar Gye,

W0 J0 Din Thy Mere Shabab K
Teri Chahaton Me Guzar Gye

Teri Justuju Me Rawan Dawan

Kabi Sang Thy Kabi Kehkishan

W0HI Din thy Kitne
Haseen tar,

J0 Musafton
Me Guzar Gye

Kabi Razdan Ne Sitam Kia

Kabi Me Raqeeb Se Ja Mila

W0 J0 Lamhay Thay Mere Pyar K

W0 Raqabton
Me Guzar Gye

Kbi Dil Gya
Kabi Jaan Gai

Kabi Rooh Badan Se Nikal Gai
W0 J0 Lamhay haseen Thy Pyar K
W0"HAMAQATUN" Me Guzr Gye..!!

Thursday, May 3, 2012

ये हैरानियाँ क्यूँ हैं

कुछ तो बता ऐ - ज़िन्दगी ये हैरानियाँ क्यूँ हैं,

हर कदम, हर मोड़ पर परेशानियाँ क्यूँ हैं,

आंसुओं के धारे और मायूसी का अँधेरा है,

हर पल ज़िन्दगी में ग़मों की मेहरबानियाँ क्यूँ हैं ,

हर तरफ तन्हैयाँ हर तरफ मायूसियाँ मिली ,

इस भरी दुनिया में मेरे लिए वीरानियाँ क्यूँ हैं ,

मैंने तो अभी आग़ाज़ किया है ज़िन्दगी का साहिल

फिर खंत्म सी होती हुई ये कहानियां क्यूँ हैं

Yaadon Sey Jud Jaye Jab Dard


Yaadon Sey Jud Jaye Jab Dard

To Yadden Bahut Takleef Deti Hain

Yaadon Sey Jud Jaye Jab Zindagi

To Yaaden Bahut Kareeb Lagti Hain

Yaadon Sey Jud Jaye Jab Her Ek Khushi

To Yaadein Bahut Hassen Lagti Hain

Hum Ne Yaadon Main Ek Umar Ghuzare De Hai

Lakin Yaadein Phir Bhi Hum Ko Bahut Takleef Dati Hain..!!

दिल का गुनाह सिर्फ़ ये

दिल का गुनाह सिर्फ़ ये कि तू पसंद था...

वरना इरादा अपना भी काफी बलंद था...



ये कि़स्मतों की बात है तू है मुकाम पे....

हम जिस जगह खड़े थे वो दरवाज़ा बंद था...



माना कि हसरतों की आग से जला है दिल...

लेकिन न अपनी कोशिशों में दंदफंद था....



हमको तो अपने हौसलों की ही उड़ान है....

यूँ मिल्कियत में अपनी तो बस मूलकंद था...



थी जीत उनके साथ अपने साथ हार थी....

लेकिन शिकस्त का हमें अहसास मंद था..!!

मुझे आजमा के रोये

मेरी दास्ताँ - ऐ - हसरत वो सुना सुना के रोये .
मुझे अजमाने वाले
मुझे आजमा के रोये  .

कोई ऐसा अहल - ऐ -दिल हो के फ़साना - ऐ - मुहबत .
मैं उसे सुना के रोऊँ वो मुझे सुना के रोये .

मेरी आरजू की दुनिया ,दिल - ऐ - नातवां की हसरत .
जैसे खो के आज सदमे में थे ,उसे आज पा के रोये .

उसकी बेवाफैयों पर , उसकी काज अदाओं पर .
कभी सर झुका के रोये , कभी मुह छुपा के रोये .

जो सुनाई अनजाने में सब ग़म की आप बीती .
कई रोओ के मुस्कुराये ,कई मुस्कुरा के रोये .

Mohabbat Se Khafa

Wo Mohabbat Se Khafa Hay Mujhe Maloom Na Tha

Ishq Us Se Na Rawa Hy Mujhe MalooM Na Tha

Wo Bicharne Laga Mujh Se To Anaa Toot Gai

Rooth Jana Hi Adaa Hy Mujhe Maloom Na Tha

Subha Hone Pe B Aankhon Se Andhera Na Gaya

Raat Soraj Se Khafa Hy Mujhe MalooM Na Tha

R00th Jane Pe MaNaNa Usy Aata Hi Nahi

Yeh bhi meri khata hai mujhe maloom Na Tha

Zindagi Jurm o saza hai zamane main

Saans lena bhi gunah hai mujhe maloom Na Tha

pyar kiya karte hain

zindagi mein to sabhi pyar kiya karte hain
main to mar kar bhi meri jaan tujhe chahunga

tu mila hai to ye ehsaas hua hai mujhko
ye meri umr mohabbat ke liye thodi hai

ik zara sa gham-e-dauran ka bhi haq hai jis par
maine wo saans bhi tere liye rakh chhodi hai

tujhpe ho jaunga qurbaan tujhe chahunga
main to mar kar bhi meri jaan tujhe chahunga

apne jazbaat mein naghmaat rachane ke liye
maine dhadkan ki tarah dil mein basaya hai tujhe

main tasavvur bhi judai ka bhala kaise karoon
maine qismat ki lakiron se churaya hai tujhe

pyaar ka ban ke nigehbaan tujhe chaahunga
main to mar kar bhi meri jaan tujhe chahunga

teri har chhaap se jalte hain khayalon mein chiraagh
jab bhi tu aaye jagata hua jaadu aaye

tujhko chhu loon to phir ae jaan-e-tamanna mujhko
der tak apne badan se teri Khushbu aaye

tuu baharon ka hai unwaan tujhe chahunga
main to mar kar bhi meri jaan tujhe chahunga

Wednesday, May 2, 2012

धुआं उड़ा रहा हूँ

आज फिर एक सिगरेट जला रहा हूँ
फिर एक तीली बुझा रहा हूँ
उसकी नज़र में ये एक गुनाह था
मैं तो बस उसके वादे भुला रहा हूँ
समझना मत इसे मेरी आदत
मैं तो बस धुआं उड़ा रहा हूँ
ये उसकी यादों के सिलसिले हैं
मैं उसकी यादें जला रहा हूँ
मैं पी कर इतना बहक चूका हूँ
की गम के किस्से सुना रहा हूँ
अगर तुम्हे भी गम है तो मेरे पास आओ
मैं पी रहा हूँ और पिला रहा हूँ
हैं मेरी तो आँखें नम
मगर मैं सबको हँसा रहा हूँ
खो कर अपनी ज़िन्दगी में
अपने बे इन्तहा प्यार को भुला रहा हूँ
एक सिगरेट की शमा के बहाने मैं अपने आप को जला रहा हूँ
मैं आज फिर एक सिगरेट जला रहा हूँ

Ajeeb shakhs tha

Ajeeb shakhs tha kaisa mizaj rakhta tha,

Saath rehkar bhi ikhtlaaf rakhta tha.

Mein kyun na daand doon uss ke fun ki,

Mere har sawal ke pehle hi jawab rakhta tha.

Woh toh roshniyoon ka baazigar tha magar,

Mere andheroon ka bada khayal rakhta tha.

Mohabbat toh thi usse kisi aur se shayad,

Mujse toh yunhi hansi mazak rakhta tha.